About Sahitya Manthan

आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हम अध्येताओं व शोधार्थियों के शोध एवं अनुसंधान की गतिविधियों को प्रोत्साहित करने हेतु राष्ट्र,संस्कृति,साहित्य, कला और विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में शोध क्षेत्र को मंच देने के लिए द्विमासिक अंतरराष्ट्रीय 'साहित्य मंथन' नामक पत्रिका का 'भारते भातु भारती' मुद्रालेख के साथ प्रारंभ करने जा रहे हैं।
वर्तमान समय संकट का है,साथ ही मंथन का भी । अपने बारे में, परिवार के बारे में,समाज और देश के बारे में सोचने और विचार करने का समय है। इन सभी विचारों को व्यक्त करने के लिए 'साहित्य मंथन' ई - पत्रिका आपको मंच देती है, जिससे देश हित में अपने विचारों को व्यक्त किया जा सके। अपनी सकारात्मक ऊर्जा द्वारा
आप पाठकों में नई ऊर्जा भर सकते हैं और 'साहित्य मंथन' भारतीय साहित्य, संस्कृति और राष्ट्र दर्शन को व्याख्यायित करने हेतु आप सभी को अवसर देना चाहती है ।
आप इससे जुड़ें और राष्ट्र सेवा को साहित्य सेवा के माध्यम से व्यक्त करें । आपका शोधालेख गुणवत्ता युक्त मौलिक एवं स्तरीय होने पर 'साहित्य मंथन' ई - पत्रिका में नि:शुल्क प्रकाशित किया जाएगा। आप अपना शोध आलेख भेज कर साहित्य सेवा के साथ-साथ राष्ट्र सेवा भी कर सकते हैं। इतिहास गवाह है कि विद्वानों और साहित्यकारों ने अपनी लेखनी से समाज को समय-समय पर निर्देश और रास्ते दिखाए हैं ।
एक बहुत बड़ा वर्ग है जो आपके विचारों की अपेक्षा रखता है । तो आइए इस 'साहित्य मंथन' में हम भी साहित्य के माध्यम से देश भक्ति में अपना योगदान करें।

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